करवा चौथ
करवा चौथ एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जो विशेष रूप से भारतीय महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। यह त्योहार पति की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए व्रत रखने के लिए प्रसिद्ध है। करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है।
कब है करवा चौथ? किस समय करें …
करवा चौथ की कहानी
प्राचीन समय की बात है, वेद नामक एक ब्राह्मण था। उसकी सात संताने थीं। उनकी सबसे छोटी बेटी का नाम करवा था। वह अपने पति से बहुत प्यार करती थी और उसकी लंबी उम्र की कामना करती थी।
कहानी का आरंभ:
विवाह के बाद करवा ने अपने पति के लिए करवा चौथ का व्रत रखने का संकल्प लिया। उसने पूरे दिन निर्जला व्रत रखा और रात को चंद्रमा को देखकर अपना व्रत तोड़ा।
प्रथम कहानी:
एक बार की बात है, वीरावती नाम की एक सुंदर स्त्री थी। वह अपने सात भाइयों की अकेली बहन थी। उसने विवाह के बाद पहली बार करवा चौथ का व्रत रखा। व्रत के दिन वीरावती बहुत भूखी और प्यास से व्याकुल हो रही थी। उसके भाइयों ने उसकी हालत देखी और उससे व्रत तोड़ने को कहा, लेकिन वीरावती ने मना कर दिया। भाइयों ने एक तरकीब सोची और एक पेड़ पर दीपक जलाकर उसे चंद्रमा का आभास दिलाया। वीरावती ने चंद्रमा को देखकर व्रत तोड़ दिया। इसके तुरंत बाद उसे अपने पति की मृत्यु का समाचार मिला। वीरावती ने बहुत पश्चाताप किया और भगवान से प्रार्थना की। उसकी श्रद्धा और भक्ति से प्रभावित होकर भगवान ने उसके पति को पुनर्जीवित कर दिया।
द्वितीय कहानी:
कहानी के अनुसार, एक साहूकार की सात बहुएं और एक बेटी थी। सभी बहुएं और बेटी करवा चौथ का व्रत रखती थीं। एक दिन साहूकार की बेटी का व्रत सही तरीके से नहीं हुआ, जिससे उसके पति की मृत्यु हो गई। उसने बहुत प्रार्थना की और व्रत की महिमा का गुणगान किया। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान ने उसके पति को जीवित कर दिया।
व्रत की विधि
- सजावट और तैयारी: करवा चौथ के दिन महिलाएं सुंदर कपड़े पहनती हैं, मेंहदी लगाती हैं और श्रृंगार करती हैं।
- करवा पूजन: दिन में महिलाएं एकत्रित होती हैं और एक करवा (मिट्टी का बर्तन) की पूजा करती हैं। इस दौरान कथा सुनी जाती है।
- निर्जला व्रत: महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं, जिसमें पानी भी नहीं पिया जाता।
- चंद्र दर्शन: रात को चंद्रमा के उदय होने पर महिलाएं छलनी की सहायता से चंद्रमा को देखकर, फिर अपने पति का चेहरा देखकर व्रत तोड़ती हैं। पति के हाथ से पानी पीकर और कुछ मीठा खाकर व्रत संपन्न होता है।
करवा चौथ का व्रत महिलाओं की अपने पति के प्रति असीम प्रेम और समर्पण को दर्शाता है। इस व्रत के माध्यम से महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करती हैं।